Delhi Rains: दिल्ली में इस मॉनसून में सात बार हुई भारी बारिश, जानिए क्यों बदल रहा 'वर्षा का अंदाज'
Delhi Rains: एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश के कई हिस्सों में भारी बारिश की घटनाओं में बढ़ोतरी का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन (Climate change) से है.
Delhi Rains: दिल्ली में इस मॉनसून में अब तक सात बार भारी बारिश हुई है जो एक दशक में सबसे ज्यादा है. खास बात ये है कि शहर में रिकॉर्ड की गई बारिश का 60 फीसदी से ज्यादा पानी इन्हीं दिनों में बरसा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश के कई हिस्सों में भारी बारिश की घटनाओं में बढ़ोतरी का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन (Climate change) से है. 15 मिलीमीटर (मिमी) से कम की बारिश को हल्की माना जाता है, 15 से 64.5 मिमी के बीच मीडियम, 64.5 मिमी और 115.5 मिमी के बीच भारी, 115.6 और 204.4 के बीच बारिश को बहुत भारी माना जाता है. वहीं 204.4 मिमी से ज्यादा बरसात बेहद भारी बारिश मानी जाती है.
'भारी बारिश' की घटनाओं में बढ़ोतरी
आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर के जेनामणि ने कहा कि, आमतौर पर दिल्ली में पूरे मौसम में भारी बरसात की एक या दो घटनाएं होती हैं. उन्होंने कहा कि, “इस साल ‘भारी बारिश’ के दिनों की संख्या पिछले सालों की तुलना में बहुत ज्यादा है. अधिकांश बरसात- लगभग 60 से 70 फीसदी - भारी बारिश से हुई है.” राष्ट्रीय राजधानी में जुलाई में तीन बार भारी बारिश दर्ज की गई - 19 जुलाई को 69.6 मिमी, 27 जुलाई को 100 मिमी और 30 जुलाई को 72 मिमी. कुल मिलाकर, “भारी बारिश” की घटनाओं में शनिवार सुबह तक इस मॉनसून के मौसम में 64 फीसदी बारिश दर्ज की गई. दिल्ली में साल 2020 के मॉनसून में तीन बार भारी बारिश दर्ज की थी जबकि 2019 और 2018 में यह एक भी दिन दर्ज नहीं की गई थी.
'जलभराव को जलवायु संकट से नहीं जोड़ सकते'
आईएमडी के पूर्व महानिदेशक अजीत त्यागी ने कहा, “पिछले 30 वर्षों को देखने से पता चला है कि भारी बारिश की घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है ... यह आंकड़ों और अनुमानों दोनों पर आधारित है. इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं है कि (भविष्य में) अधिक भारी वर्षा वाले दिन और लंबे समय तक शुष्क रहने वाले दौर हैं. हालांकि, कुल वर्षा की मात्रा में बदलाव नहीं हो सकता है.” उन्होंने कहा कि, “प्राकृतिक परिवर्तनशीलता भी है. कोई भी दो मानसून समान नहीं होते हैं. यदि आप अतीत में 50 साल तक जाते हैं, तो सूखे के साल और बाढ़ के साल हुआ करते थे.”
उन्होंने कहा कि दिल्ली और गुड़गांव जैसे शहरों में हालांकि 50 मिमी तक बारिश के कारण होने वाले भारी जलभराव को जलवायु संकट से नहीं जोड़ा जा सकता है. त्यागी ने कहा, “यह हमारी खराब योजना के कारण है. आने वाले समय में शहरों की योजना इस तरह से बनाई जानी चाहिए कि वे एक दिन में 150 मिमी से 200 मिमी बारिश का सामना करने में सक्षम हों.” इस साल मॉनसून के अत्यधिक असामान्य मौसम में दिल्ली में अभी तक 1,100 मिलीमीटर बारिश हुई जो 46 सालों में सबसे ज्यादा और पिछले साल दर्ज की गयी बारिश से लगभग दोगुनी है.
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08:12 AM IST